"बात
ऊँची थी मगर बात ज़रा कम आँकी,उस ने ज़ज्बात की औकात ज़रा कम आँकी,वो
फ़रिश्ता मुझे कह कर ज़लील करता रहा,मैं हूँ इंसान मेरी ज़ात ज़रा कम
आँकी.........!"
खुद मे झाँकने के लिए जिगर चाहिए ;
दूसरों की शिनाख्त मे तो हर शख़्स माहिर है...!!
मेरे दिल से... खेल तो ....रहे हो... पर...
जरा सम्भल के...टूटा हुआ है... कहीं लग
ना जाए ...!!
याद रखना तेरे पास हमारे खिलाफ प्रुफ तो हे,
लेकिन तेरा घर बुलेट प्रुफ नहि हे....!!!
न जाहिर हुई तुमसे, न बयान हुई हमसे, बस सुलझी हुई आँखो मेँ, उलझी रही मोहब्बत...!!!
खुद मे झाँकने के लिए जिगर चाहिए ;
दूसरों की शिनाख्त मे तो हर शख़्स माहिर है...!!
मेरे दिल से... खेल तो ....रहे हो... पर...
जरा सम्भल के...टूटा हुआ है... कहीं लग
ना जाए ...!!
याद रखना तेरे पास हमारे खिलाफ प्रुफ तो हे,
लेकिन तेरा घर बुलेट प्रुफ नहि हे....!!!
न जाहिर हुई तुमसे, न बयान हुई हमसे, बस सुलझी हुई आँखो मेँ, उलझी रही मोहब्बत...!!!
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